दक्षिण दिशा अशुभ क्यों मानी जाती है? ज्योतिषीय कारण जानें

क्या अशुभ होती है दक्षिण दिशा? जानिए दक्षिण दिशा और ज्योतिष शास्त्र के बीच संबंध

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    इस बात से कोई भी अनजान नहीं है, कि सृष्टि के कण कण में ईश्वर की मौजूदगी है और इसके साथ ही इस दुनिया में हमारे पास जो कुछ भी है, वो सब कुछ ईश्वर का ही निर्माण किया हुआ है। यहाँ तक कि हम खुद भी भगवान के बनाए हुए हैं। इसके अलावा, सृष्टि में मौजूद हर दिशा ईश्वर के द्वारा बनाई गयी गई है। 

    आम तौर पर, इसके बावजूद भी ग्रंथों की धारणा है, कि दिशा शुभ भी होती हैं और अशुभ भी होती हैं। दरअसल, अशुभ दिशाओं की श्रेणी में एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिशा आती है और वह है दक्षिण दिशा।

    आपको बता दें, कि ब्रह्मांड की चार प्रमुख दिशाओं में पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा शामिल हैं। आम तौर पर, इन चार दिशाओं में से ज्यादातर लोग दक्षिण दिशा को सबसे ज्यादा अशुभ मानते हैं। क्योंकि वास्तु ग्रंथों के अनुसार, दक्षिण दिशा यम देव और हमारे पितरों को समर्पित होती है। असल में, इसका सीधा- सीधा मतलब यह है, कि इस दिशा पर आधिपत्य (अधिकार) विशेष रूप से यम देवता का होता है। एक यही बात सभी लोगों के मन में बैठ हुई है, कि यमराज तो मृत्यु के देवता हैं। इसलिए, ज्यादातर लोग दक्षिण दिशा में बने घर, दुकान, कारखाने, फैक्ट्री आदि को खरीदने से बचते हैं और ज्यादातर लोग मानते हैं, कि यह दिशा रहने के हिसाब से बिल्कुल भी ठीक नहीं होती है। लोगों को इस दिशा से काफी ज्यादा डर लगता है, क्योंकि मनुष्य का सबसे बड़ा भय मृत्यु ही होती है। इसलिए, दक्षिण दिशा का डर लोगों के अंदर भर चुका है और लोग मानते हैं, कि यह दिशा बहुत ही ज्यादा अशुभ होती है।

    दक्षिण दिशा का क्या महत्व होता है?

    आम तौर पर, दक्षिण दिशा की महत्ता को बताते हुए ज्योतिष का कहना है, कि वास्तु के विशेष ग्रंथों में 10 दिशाओं का वर्णन पाया जाता है, आम तौर पर जिन में से 4 दिशाएं सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं। जिसमें शामिल है: 

    1. पूर्व दिशा

    2. पश्चिम दिशा

    3. उत्तर दिशा

    4. दक्षिण दिशा

    आपको बता दें, कि इन चार दिशाओं के अलावा 4 विदिशायें और भी पाई जाती हैं। 

    आम तौर पर, दक्षिण दिशा के संबंध में वास्तु के ग्रंथों का कहना है, कि असल में, यह दिशा शक्ति, साहस और कभी भी खत्म न होने वाला धन प्रदान करने वाली होती है। आम तौर पर, ऐसा इसलिए है, क्योंकि अगर भारत के नक़्शे को देखा जाये तो सबसे ज्यादा धन इसी दिशा में होता है, यानी कि दक्षिण दिशा में ही पाया जाता है। आम तौर पर, दक्षिण दिशा की तरफ रहने वाले लोग या फिर घरों में निवास करने वाले लोग थोड़े समय के बाद काफी ज्यादा उन्नति करते हैं। आपको बता दें, कि भले ही इस दिशा में रहने वाले लोग थोड़े समय के बाद तरक्की करते हैं, पर सबसे आगे वही लोग उन्नति करते हैं।

    ज्योतिष शास्त्र और दक्षिण दिशा का संबंध 

    आपको बता दें, कि ज्योतिष शास्त्र में दक्षिण दिशा का संबंध मंगल ग्रह के साथ जुड़ा हुआ है। असल मे, मंगल ग्रह अग्नि तत्व को दिखाता है। आम तौर पर, इसलिए दक्षिण दिशा को अग्नि की मुख्य दिशा माना जाता है। कुंडली में, मंगल ग्रह दक्षिण दिशा का स्वामी होता है। आपको बता दें, कि दक्षिण दिशा को लेकर हमारे समाज में, एक और मिथ यानी की भ्रम फैला हुआ है, कि एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार के दौरान, लोग दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके खाना खाते हैं। आम तौर पर, इस के साथ ही लोगों में फैला हुआ दूसरा भ्रम यह है, कि एक व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद, उसके शव का मुंह दक्षिण दिशा की तरफ करके रखा जाता है। दरअसल, इसलिए भी ज्यादातर लोग दक्षिण में घर या फिर प्लाट लेना पसंद नहीं करते हैं। 

    महत्वपूर्ण बात: दक्षिण दिशा सभी के लिए अशुभ हो ऐसा जरूरी नहीं है, क्योंकि हर दिशा न तो हर किसी के लिए बेहतर होती है और न ही हर किसी के लिए बुरी या फिर खराब होती है। 

    निष्कर्ष

    वास्तु के विशेष ग्रंथों में 10 दिशाओं का वर्णन किया गया है, जिनमें से पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है। इन चार दिशाओं में से ज्यादातर लोग दक्षिण दिशा को सबसे ज्यादा अशुभ मानते हैं। क्योंकि वास्तु ग्रंथों के अनुसार, दक्षिण दिशा यम देव और पितरों को समर्पित होती है। इसलिए लोग दक्षिण दिशा में रहना उचित नहीं समझते हैं। इस दौरान, इस बात का ध्यान रखें, कि दक्षिण दिशा सभी के लिए अशुभ हो ऐसा जरूरी नहीं है, क्योंकि हर दिशा न तो हर किसी के लिए बेहतर होती है और न ही हर किसी के लिए बुरी या फिर खराब होती है। अगर आप इसके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप एस्ट्रो वास्तु हाउस के विशेषज्ञों के साथ संपर्क कर सकते हैं।